आज
मै नागौर जिला मुख्यालय पर गया।वहा किसानो की समस्यायों को लेकर तीन
अलग-अलग नेताओ व् संगठनो ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सोंपा।एक ज्ञापन
देनेवालो का नेत्रत्व विजय भाई साहब कर रहे थे और दुसरे का हनुमान
बेनीवाल।दोनों की मांग थी ओला गिरने से किसानो को जो नुकसान हुआ उसका
मुवावजा दिया जाये।तीसरा ज्ञापन खैन गाँव के किसानो ने अम्बुजा सीमेंट
फेक्ट्री के खिलाफ दिया।भाई साहब के पास सो -डेढ़ सो किसान थे ,बेनीवाल के
पास भी डेढ़ सो -दो सो किसान थे और सो-डेढ़ सो किसान खैन गाँव वालो के पास
थे।तीनो के पास छ सो-सात सो किसान थे तीनो ने अपने-अपने हितो की रक्ष। के
लिए ज्ञापन दिए अगर किसान के हितो के लिए ज्ञापन देते तो तीनो मिलकर
देते।किसान की ताकत का अहसास करवाते।किसानो की समस्यायों का समाधान होता।इस
देश के किसान की समस्याये एनेक है लेकिन उसका समाधान एक है।किसान का हित
अगर नेता चाहते है तो एक होना पड़ेगा नही तो ये किसानो के हित में दिए गये
ज्ञापन मात्र राजनेतिक नाटक से ज्यादा कुछ नही है।मै हमेशा किसान और जाट के
हितो को ध्यान में रखकर दिए जानेवाले ज्ञापनो में शामिल होकर गर्व मह्सुस
करता हूँ मै इस बात की ऒर कभी ध्यान नही देता हूँ की ज्ञापन देनेवाला किस
पार्टी का है।मै तो इसबात का ध्यान रखता हूँ की मै किसान और जाट जाति की
भलाई के लिए कितना कर सकता हूँ
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