Wednesday 17 April 2013

दुर्गाष्टमी

18 को दुर्गाष्टमी पर देवी पूजा के ये छोटे से मंत्र व उपाय पूरी करेंगे हर मुराद
चैत्र नवरात्रि में महाष्टमी तिथि (18 अप्रैल) शक्ति साधना की बड़ी शुभ घड़ी व रात्रि मानी जाती है। शास्त्रों के मुताबिक शक्ति शिव की वामांगी भी मानी गई हैं। इसलिए नवरात्रि की यह घड़ी वाम मार्गी साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। शिव-शक्ति की कृपा जीवन के सारे दु:ख-बंधनों से मुक्त करने वाली मानी गई है। शिव और शक्ति एक-दूसरे के बिना शक्तिहीन भी माने जाते हैं। व्यावहारिक रूप से समझें तो सुख की कामना शक्ति संपन्नता के बिना संभव नहीं होती।

शिव की भांति शक्ति के भी कई रूप ऐसी ही सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाले माने गए हैं। इन स्वरूपों में भी नवदुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा का महत्व है। 18 अप्रैल को अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा के साथ ही गुरुवार का दुर्लभ योग भी है। क्योंकि महागौरी की पूजा खासतौर पर गुरु ग्रह के दोष शांत करने वाली भी मानी गई है। इसलिए इस दिन देवी के साथ गुरु पूजा, गुरु ग्रह के विपरीत योग या दशा से आ रही सुख-भाग्यबाधा दूर करने के साथ, विवाह व संतान से जुड़ी परेशानियां भी दूर कर देंगी। अगली स्लाइड्स पर जानिए देवी व गुरु पूजा के खास मंत्र व पूजा उपाय -
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। श्वेतवर्णी तेज स्वरूपा मां का यह करूणामयी रूप है। इनकी उपासना भक्त को शांति, एकाग्रता, संतुलन, संयम रखने की प्रेरणा देकर अक्षय सुख देने वाली मानी गई है। इसी तरह गुरु बृहस्पति देव गुरु होकर ज्ञान व बुद्धि के स्वामी माने गए हैं।
अगली स्लाइड पर जानिए, किन मंत्रों व विधि से दुर्गाष्टमी पर देवी व गुरु पूजा हर भय, बाधा दूर कर बल, आत्मविश्वास देने वाली सिद्ध होगी -
सुबह व रात दोनो वक्त स्नान कर तन के साथ मन पवित्र रख देवालय में साफ वस्त्र पहनकर जाएं।

- दुर्गा या महागौरी की प्रतिमा का जल-दूध से अभिषेक करें।

- महाष्टमी होने से देवी पूजा के लिए लाल चंदन, लाल फूल, लाल चुनरी जरूर चढाएं। इसके अलावा महागौरी की पूजा गंध, अक्षत, मेंहदी, हल्दी, अबीर अर्पित कर यथोपचार विधि से कराएं। इस कार्य को किसी विद्वान ब्राह्मण से भी कराया जाना श्रेष्ठ होता है।

- महादेवी के पूर्ण स्वरूप की वस्त्र, अस्त्र, छत्र, चामर सहित पूजा करें।

- पूजा में देवी दुर्गा को चने-हलवा के साथ खासतौर पर नारियल चढ़ाएं।

- इसी तरह देवगुरु की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा भी करें, जिसमें पीली पूजा सामग्री जैसे केसरिया चंदन, पीले अक्षत, पीले वस्त्र, चने की दाल, हल्दी चढ़ाएं। पीले पकवानों का भोग लगाएं।

- बाद महागौरी व दुर्गा का स्मरण करते हुए नीचे लिखे सरल मंत्र बोलें -

- ॐ महागौरी देव्यै नम:

इसी तरह से यह विशेष महागौरी मंत्र स्तुति भी करें -

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥

सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।

डमरूवाघप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।

वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥

- पूजा में देवी दुर्गा की प्रसन्नता के लिए देवी कवच, दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना शुभ होगा।

- देवी पूजा और आरती, क्षमा-प्रार्थन के बाद यथाशक्ति कन्याओं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं, पशुओं को चारा खिलाए, अन्न, वस्त्र का दान करें, गरीबों को आर्थिक मदद करें।

महाष्टमी पर दुर्गा पूजा दु:ख, संकट, भय और चिंता से मुक्त कर परिवार को सुख और समृद्ध कर देगी। इसी तरह गुरु पूजा भाग्य, विवाह, संतान, नौकरी या कारोबार से जुड़ी बाधाओं का अंत कर हर कामनापूर्ति करेगी।

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