कुआँ (कूप) मिट्टी या चट्टानों को काटकर कृत्रिम खोदाई या छेदाई से जब कोई द्रव,
विशेषतया पानी, निकलता है तब उसे कुआँ कहते हैं। कुछ स्थानों के कुओं से
पानी के स्थान पर पेट्रोलियम तेल भी निकलता है। कुएँ कई प्रकार के होते
हैं। यह उनकी खुदाई, गहराई, मिट्टी या चट्टान की प्रकृति और पानी निकलने की
मात्रा पर निर्भर करता है। कुएँ छिछले हो सकते हैं या गहरे। गहरे कुओं को
उस्रुत कुआँ कहते हैं, यद्यपि यह नाम ग़लत है। साधारणतया कुएँ वृत्ताकार
तीन से पंद्रह फुट, या इससे अधिक, व्यास के होते हैं। इनकी गोल दीवारें,
जिन्हें कोठी कहा जाता है, ईटों की बनाई जाती हैं और उनके नीचे तल पर लकड़ी
या प्रबलित कंक्रीट या चक्का होता है। ऐसे ही कुओं का पानी पीने या सिंचाई
के काम आता है। छिछले कुओं का पानी पीने योग्य नहीं समझा जाता, क्योंकि
उनके धरातल के पानी से दूषित हो जाने की आशंका रहती है। पीने के पानी के
लिए गहरे कुएँ अच्छे समझे जाते हैं। उनका पानी शुद्ध रहता है और अधिक
मात्रा में भी प्राप्त होता है।
कुएँ साधारणतया 50 से लेकर 100 फुट तक गहरे होते हैं, पर अधिक पानी के
लिये 150 से 500 फुट तक के गहरे कुएँ खोदे गए हैं। कुछ विशेष स्थानों में
तो कुएँ छह हज़ार फुट तक गहरे खोदे गए हैं और इनसे बड़ी मात्रा में पानी
प्राप्त हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में चार सौ फुट से अधिक गहरे कुएँ खोदे गए
हैं। इनसे एक लाख से लेकर एक लाख चालीस हज़ार गैलन तक पानी प्रतिदिन
प्राप्त हो सकता है।
गहराई
नींव
जिन नदियों या नालों के तल की मिट्टी क्षरणशील होती है उनमें पुलों के पायों या अन्य निर्माण की बुनियाद भी कुंओं पर रखी जाती है। कुएँ वाली नींव में चार भाग होते हैं-- चक्क:- जिसमें कटाई कोर भी सम्मिलित है,
- कोठी
- डाट तथा
- कूप-ढक्कन
- चक्क
- कोठी
- डाट
- कूप ढक्कन
कुओं का आकार
कुओं के आकार साधारणतया एकहरा वृत्ताकार, दोहरा अष्टभुजीय, दोहरा D- आकार, द्विवृत्ताकार, आयताकार या एक से अधिक गोलाकार, एक दूसरे के सन्निकट होते हैं।- एकहरा वृत्ताकार कुआँ काफ़ी मज़बूत होता है। इसे बनाने में सुगमता और धँसाने में अत्यधिक सरलता होती है। धँसाने में जो रुकावट हो उसको सरलता से दूर किया जा सकता है और झुकाव पर नियंत्रण रखा जा सकता है। यदि कंक्रीट का बना हो तो यह सस्ता भी होता है।
- दोहरा अष्टभुजीय आकार गहरे कुओं अथवा मेहराबदार स्तंभ के लिये उपयुक्त होता है। यदि मिट्टी कड़ी हो तो ऐसे स्थान में ऐसे ही कुएँ खोदे जा सकते हैं।
- दोहरे D-आकार के कुएँ बालू या बुलई मिट्टी के लिए दोहरे अष्टभुजीय कुओं के अच्छे होते हैं।
- छिछले कुओं के लिए आयताकार अच्छा रहता है।
निर्माण सामग्री
कुएँ की निर्माण सामग्री में चार वस्तुएँ होती हैं :- लकड़ी- इसका उन्हीं कुओं में प्रयोग होता है जो बहुत छिछले, प्राय 8 से 10 फुट गहरे होते हैं।
- इस्पात- बड़े आकार के गहरे कुएँ इस्पात के बनाए जा सकते हैं। यह वृत्ताकार होते हैं और बीच के बलयाकार स्थान में कंक्रीट भरा जाता है ताकि बोझ बढ़ जाय। इसकी धँसाई में समय कम लगता है पर खर्च अधिक होता है।
- पक्की चिनाई- साधारणतया ईटों की चिनाई सीमेंट के मसाले से की जाती है। जिस क्षेत्र में प्राय: भूचाल आते रहते हैं वहाँ संपीडन और तनाव के प्रतिबल बहुत अधिक हो जाते हैं, इसलिये ईटं की चिनाई को इस्पात और प्रबलित कंक्रीट से दृढ़ करना पड़ता है।
- कंक्रीट- कुएँ के निर्माण में कंक्रीट अधिकता से प्रयुक्त होता है। अत्यधिक भूचाल आने वाले स्थलों पर कंक्रीट का कुंआँ बनाना अधिक सस्ता पड़ता है।
कुएँ का अभिकल्प
इसमें तीन बातें निश्चय की जाती हैं:- कुएँ की गहराई,
- उसकी आकृति तथा
- कोठी की मोटाई।
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