देश को गुलामी की बेडियों से आज़ादी
दिलाने वाले सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह जैसे सन्मार्गों के जरिए अपनी सही
बात मनवाने का रास्ता दिखाने वाले गांधी क्या आज अंप्रासंगिक हो गए हैं? आज
की युवा पीढी के लिए शायद हां…जी हां आज के युवाओं को ज़रा सा टटोलिये
अपने अधकचरे ज्ञान के चलते उनके लिए गांधीजी एक महापुरुष ना होकर सिर्फ एक
मज़ाक या कोसने वाले पात्र बन कर रह गए हैं…आज के युवा को तो गांधी की फोटो
तो नोट पर भी नहीं भाती..उनका कहना है कि गांधी को इतनी इज्जत क्यों? सोशल
नेटवर्किंग साईटों पर एक निगाह डालिए देश की वर्तमान सरकार का मखौल उड़ाते
कार्टून्स के साथे गांधीजी के मज़ाकिया कार्टून्स भी मिल जाएंगे।
आज हमारे पास बोलने की आजादी है, अपने
विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी है, कहीं भी खड़े होकर किसी के लिए भी अपने
शब्द बाण छोड़ने का खुल्ला लाइसेंस है। और शायद यही वजह है कि आज ऐसे कई
लोग हैं जो देश के सबसे बड़े नेता और देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को
देश-विरोधी बताते हैं। तथाकथित देशप्रेमियों और राष्ट्रवादियों की नजर में
बापू की वजह से देश का विभाजन हुआ था। देश में फैली अशांति, बंटवारे और
कश्मीर तक के लिए लोग गांधी को जिम्मेदार मानते हैं। देश के लिए न जानें
कितने डंडे खाने का गांधीजी को यह फल मिला कि आज उन्हे लोगों की नफरत और
दुत्कार का सामना करना पड़ रहा है…सौ के नोट पर गांधीजी तो सबको चाहिए
लेकिम मूल जीवन में गांधी जी के बताए रास्ते पर चलना तो दूर लोग गांधी जी
की परछाई से भी दूर रहना पसंद करते हैं।
सवाल ये की युवाओं की ऐसी सोच आखिर क्यों
क्या गांधी वर्तमान में आप्रसंगिक हो गए हैं मुझ से पूछा जाए तो गांधीजी की
प्रासंगिकता पहले की अपेक्षा बढी है और हर युग में उनके विचारों और
सिद्धांतो की ज़रूरत और प्रासंगिकता उतनी ही रहेगी जितने बीते दशकों में।
युवाओं में गांधी के प्रति घृणा का कारण आज के युग में गांधी नहीं अपितु
उनके विचारों और सिद्धान्तों की अस्वीकार्यता है। आज युवाओं के पास ना कोई
आदर्श है और ना ही कोई सही विचार जो उन्हे सही मार्ग दिखा सके। आज की पीढी
के पास बैठकर सत्य,अहिंसा,सत्याग्रह और उपवास जैसे साधनों की चर्चा करना भी
शायद बेमानी लगे। आज की पीढी के लिए गांधी के आदर्श अप्रासंगिक हो गए हैं
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