चुनाव क्या है/...............
चुनाव के बारे में आम धारणा यह है ,चुनाव यानि चूनाव अर्थात चोंधा देना
,ताकि कुछ भी स्पस्ट न हो पाए ,आप गौर करें मुदों को भुलाने चुनावों से
पहले एक सर्कस जैसा माहोल बनाया जारहा है जहां हाथी घोडा बन्दर और जोकर आदि
उछल कूद मचाने लगे हैं,मुदा क्या है पता नहीं ,कोए तलवार दिखा रहाह कोए
तीर ताने खड़ा है,क्या संदेस देना चाहते हैं ,हमारे महामहिम ,अगर इनकी देखा
देखी ,किसानो ने जेली लाठी उठाली, आदिवासियों ने तीर तानलीकमान तो फिर
कानून क्या करेगा जब नेताओं की ही
कानून कोईपूंछ नहीं काट सकता ,
वैसे भी चुनावअर्थात जनमत अब अपनी अहमियत खो चूका है,एह तो खालीनाटक
है,हमारे वोट के बाद भी प्रधान मंत्री व् सरकार तो वो बनेगी जो कंम्पनी और
अमेरिका चाहेगी मनमोहनजी को किसने कब वोट दिया था हमारे बहुत सारे नेता व्
लीडर खड़े होकर वार्ड पंच का चुनाव भी न जीत पाएंगे जो गणमान्य
हैं,उन्होंने गण से मनेयता कब ले रखी है चुनाव के बाद मर्जी का मंदिरबना
खड़े हो जाते हैं कि हमें येही जनादेस है
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