Friday 12 April 2013

हिंगलाज तनोट राय (आयड़ माता) -घटना

माता के चमत्कार के आगे पाकिस्तानी गोले भी हो गए थे फ़ुस्स...

सन 1965, जब भारत और पाकिस्तान के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था तब राजस्थान की सीमा पर एक स्थान ऐसा भी था जो यह साबित कर रहा था कि दुनिया में ईश्वर नाम की कोई चीज भी होती है।उस समय भारतीय सेना ने ऐसे चमत्कार देखे कि वह स्थान हमेशा के लिए सैनिकों के लिए आस्था का केंद्र बन गया।

हम बात कर रहे हैं पाकिस्तानी सीमा से सटे हुए तनोट की, जहां माता हिंगलाज तनोट राय (आयड़ माता) के रूप में विराजमान है।यह स्थान जैसलमेर से लगभग 130 किमी की दूरी पर स्थित है।तनोट को स्थापित करने के श्रेय भाटी राजपूत राजा तणुराव को जाता है।

विक्रम संवत 828 में तणुराव ने यहां मंदिर बनवाया और तनोट माता की मूर्ती की स्थापना की।भाटी वंश के राजे-महाराजे और जैसलमेर के आसपास के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी तनोट माता के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा रखते आये हैं।कालांतर में भाटी राजाओं की राजधानी को तनोट से हटाकर जैसलमेर कर दिया गया लेकिन तनोट माता का वह मंदिर आज भी वहीं स्थित है।

वैसे तो जैसलमेर के साथ-साथ आस-पास के लोगों के लिए यह मंदिर हमेशा से ही आस्था का केंद्र रहा है लेकिन 1965 में तनोट माता के चमत्कार ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ भारतीय सेना के दिलों में भी अपनी आस्था के बीज बो दिए।

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