Friday 12 April 2013

रावण

रावण तो महा पातकी (दूसरे की स्त्री का अपहरण करने वाला) था। लेकिन रामायण में लिखा है कि उसे मोक्ष मिला। ऐसा क्यों?

प्रश्न बहुत सुंदर है। रावण महा पातकी था, यह बात तो ठीक है। लेकिन रामायण में एक और कहानी है, जिसमें इस प्रश्न का उत्तर मिलता है। जब राम-रावण की लड़ाई चल रही थी और रावण की हार हो रही थी, उस समय रावण ने शिव से प्रार्थना की - हे प्रभु बचाओ, मैं मर रहा हूं। मगर शिव ने कुछ नहीं किया।
वहीं भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजमान थीं। उन्होंने कहा, रावण तुम्हारा भक्त है, वह मर रहा है तो क्या तुम उसे बचाओगे नहीं? शिव जी ने कहा, नहीं, रावण महा पातकी है। मृत्यु ही उसकी सजा है। वैसे भी, मरने के बाद जाएगा कहां? शिव के ही साथ तो रहेगा। इस ब्रह्मांड के बाहर तो जा नहीं सकता। मगर लौकिक जगत में उसकी सजा है मृत्यु।

पार्वती ने कहा, नहीं-नहीं, वह महा पातकी नहीं है, वह है अति पातकी। उन दिनों दूसरे की स्त्री का अपहरण करने वाला अति पातकी होता था, क्योंकि सामाजिक मान्यता यह थी कि इस तरह के अपहरण से स्त्री को स्थायी प्रकृति की क्षति होती है। इसके प्रायश्चित का कोई उपाय नहीं है, इसलिए वह अति पातकी है। इसीलिए पार्वती का प्रश्न था कि रावण महा पातकी क्यों, अति पातकी क्यों नहीं?

शिव ने समझाया, रावण ने जो चोरी की, अपहरण किया, वह अगर चोर के रूप में आता तो वह अति पातकी होता। लेकिन वह आया साधु के रूप में। उसने एक कुल नारी का अपहरण किया। तो भविष्य में कोई कुल नारी किसी साधु का विश्वास नहीं करेगी। कोई साधु अगर आकर कहे, भिक्षा दो, तो कोई भी उस पर भरोसा नहीं करेगी। सोचेगी, हो सकता है यह रावण की ही तरह कोई न हो।

रावण ने ऐसा कुकर्म किया, जिसका असर भविष्य में भी साधुओं पर पड़ता रहेगा। तो रावण के कर्म का प्रभाव रेकरिंग नेचर का हो गया। इसलिए रावण महा पातकी है। इस पर पार्वती ने कहा, फिर भी उसे बचाने का एक प्रयास तो करना चाहिए। शिव ने कहा, तुम कोशिश कर सकती हो, मगर बचा नहीं सकोगी। तो आखिर जो होने को था, वह हुआ।

रावण का क्या काम था? सब कुछ छोड़ कर केवल राम की भावना लेना। राज चला गया, लंकापुरी जल गई। बेटा, पोता सब मर गए, सब खत्म हो गया, तो भी छोड़ा नहीं राम की भावना। शास्त्र में कहा गया है, तुम श्रद्धा के साथ परमात्मा की भावना लो, तो बहुत अच्छा है। पर अवहेलना के साथ भी परमात्मा की भावना लेते हो, तो भी मन तो वहीं होगा परमात्मा के पास। इसीलिए रावण मरता है, तो भी उसे मोक्ष मिल जाता है।

No comments:

Post a Comment