Wednesday 15 May 2013

मेरा गांव मेरा घर



गांव की बसावट
लेकिन शराब का प्रचलन गांव की सरहद में घुस आया है।  यह गांव तीन चौक का गांव कहा जाता है।
गांव की बसावट बहुत अच्छी है। गांव के खुल्लेपन को दर्शाती है। एवं किसी भी नव आगन्तुक को आकर्षित करती है।
यह एक समृद्ध गांव कहा जाता है। यहां शिक्षा अच्छी है। बालिकाओं की शिक्षा पर भी बराबर ध्यान दिया जाता है। आजिविका के हिसाब से प्राय हर घर में खेती के अलावा नौकरी व्यवसाय से आमद है।
युवा

रणबाकुरे

राजनिति

सेवा समिति
 गांव में होने वाले पारिवारिक एंव सामाजिक समारोह आदि के लिये बर्तनों एवं फर्नीचर आदि की सुविधा के लिये एक ग्राम सेवा समिति का संचालन किया जा रहा है। जिसके द्वारा होने वाले किसी भी आयोजन के लिये के लिये सामान निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है। समिति के नियमित संचालन एवं आवश्यकतानुसार नया सामान जुटाने के लिये ब्याह - शादी में दिये जाने वाले ‘थामा’ की राशि गांव वालों द्वारा सेवा समिति में जमा करा दी जाती है। प्राप्त राशि का खर्च गांव वालों द्वारा आपसी सहमति से किया जाता है। एवं बकायदा लेखा जोखा भी रखा जाता है।
वार त्यौहार
 गांव में मकर संक्रंति,तीज,गोगानवमी,दीपावली,व होली के अलावा श्रद्धेह बाबा नथूराम की स्मृति में चोथ को खीर-चुरमा हर घर में बनाया जाता है। होलिका दहन गांव में एक ही जगह होती है। होलिका दहन के बाद धूलण्डी के दिन सुबह सुबह सभी गांव निवासी एक दुसरे के घर जाकर रामा श्यामा करते है। युवा लोग बुजुर्गो का आर्शीवाद लेते है। यह दृश्य आपसी सौहार्द की एक जिती जागती मिशाल है।

No comments:

Post a Comment