Wednesday 15 May 2013

शादीयों के रिवाज





 आपको बता दूं कि मैं पिछले काफी दिनों से शादीयों में व्यस्त था इसलिए कुछ नया लिख नहीं पाया और और पढ भी नहीं पाया शादीयों में इसलिए कि अपना धंधा ही ऐसा हैं भाई पेट पुजा के लिए जाना पड़ता है।

चाक पूजन 

महिलाए इक्ट्ठा होकर खाली नये मटके लेकर कुम्हार (एक जाती जो मटके बनाने का कार्य करती है। ) के घर पर जाती हैं और वहा पर रखे चाक (जो मटके बनाने के काम आता है।) उसका पूजन मूंग, तेल,रोली, मोली और चावल, गुड चढ़ाकर उसका पूजन करती है।और फिर वहां एक घेरा बनाकर क्षेत्रिय गीतों पर नृत्य करती हैं हालाकि आजकल आधुनीकरण की होड में नई झलक देखने को मिल जाती है कि डी.जे के गानों पर नृत्य होने लगा है। इस रिवाज के बारे में पुछे जाने पर बुजुर्ग लोग सिर्फ यही बताते हैं कि "ये रिवाज पहले से ही चला आ रहा है। इसलिए हम भी यह निभाते है।"

(बर्तन) थाली खिसकाना और इक्ट्ठा करना
अर्थात गृह प्रवेश रश्म 

इसमें जब दुल्हा दुल्हन को लेकर घर में प्रवेश करता हैं तो लडत्रके की मां द्वारा पर अन्दर की तरफ 7 थालीयां रखती है। और दुल्हा उन थालियों को अपनी कटार से इधर उधर खिसकाता रहता है।  पिछे से दुल्हन उन थालियों को अक्ट्ठा करती रहती है। वो भी बिना टनटनाहट की आवाज के ऐसा माना जाता हैं कि अगर थाली इक्टठा करने में कोई आवाज हुई तो सास बहु की लडाई हो सकती है।  इस रश्म को निभाने से लड़ाई कितनी हद तक रूकती हैं ये तो आप सब भली भांति जानते ही है। ज्यादा बताने से क्या फायदा पुछे जाने पर इसके दो तीन उत्तर आये वो हैं कि  इससे अगर घर का मर्द यानी दुल्हा अगर घर की वस्तुए बिखेरता हैं तो औरत यानि दुल्हन को ऐसा होना चाहिए कि वो उसे समेट ले-
यह कि इससे दुल्हन के आज्ञाकारी होने का पता चलता है। 


सोट सोटकी
यह रिवाज बहुत ही रोचक और आश्चर्यजनक रिवाज है। कुछ समय पहले यानि गृहप्रवेश में तो झगड़ा न होने की बात की जाती हैं और उसके कुछ समय के बाद ही यह रश्म अदा की जाती है। इसमें सबसे पहले दुल्हा आपसे में नीम या जाल की सोटकी से एक दुसरे को मारते हैं और फिर दुल्हे के सांग दुल्हे की भाभीयां इसी क्रम में खेलती हैं और दुल्हन के साथ उसके देवर खेलते है। और कही कही तो दुल्हन के ननदोई यानी कि दुल्हे के जीजा जी भी दुल्हन के सांग खेलते है। कही कही तो देखा जाता हैं कि यह खेल भंयकर हो ताजा है। और एक गुस्से का रूप लेकर शरीर को चोट पहुचाने लायक बन जाता है। मजाक मजाक में ये लोग एक दुसरे को चोट पहुचा देते है। और आक्रामक रूप से खेलने लगते है।  

जुआ खेलना 
यह रिवाज भी विचित्र है। इसमें दुल्हा दुल्हन आपस में अपने कांगन डोरे खोलते हैं और दुल्हे की भाभी उसमें दुल्हन की मुंदड़ी (अंगूठी) मिलाकर उन दोनों को एक कोरे नये कुण्ड नुमा मिटटी के पात्र में दुध और पानी डालकर सात बार यह खेल लिखवाती है। इसमें यह देखा जाता है। हैं उस सफेद पानी में सेडाला गया डोरा और वो मुंदड़ी (अंगूठी) पहले कौन निकाल कर लाता हैं दुल्हा या दुल्हन  जो ज्यादा बार लाता हैं वह जितता है। और अंत में दुल्हा दुल्हन की मुटठी को खोलकर उसमें वो अंगूठी पहना देता है। यह भी विवाह का अटपटा लगने वाला रिवाज लगता है। 


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