Thursday 19 September 2013

अंत समय का एहसास करवाते हैं ---मृत्यु पूर्वाभास !

कहते हैं कि जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना भी एक सच्चाई है। ईश्वर द्वारा दिए गए इस अनमोल जीवन की सबसे बड़ी खासियत जन्म और मृत्यु के बीच का समय है।
प्राय: सभी धर्मों में मृत्यु और मानव के बीच जो संबंध है उसे किसी ना किसी तरह रेखांकित अवश्य किया गया है। बहुत से लोगों का यह मत है कि मृत्यु एक सच है लेकिन यह कब और कहाँ होगी इसका पता लगा पाना संभव नहीं है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भले ही कोई यह ना जान पाए कि मृत्यु कहाँ होगी लेकिन यह कब होगी इसका अनुमान लगा पाना मुमकिन है। अगर हम इसे अनुमान ना कहकर सटीक और सत्य कहें तो भी शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी। 
पराविज्ञान के अनुसार मृत्यु से पहले ही कुछ संकेतकों की सहायता से व्यक्ति पहले ही यह जान सकता है कि उसकी मृत्यु होने वाली है। परवैज्ञानिकों की मानें तो सामान्यत: यह संकेत मृत्यु से नौ महीने पहले ही मिलने शुरू हो जाते हैं। 
अगर कोई व्यक्ति अपनी मां के गर्भ में दस महीने तक रहा है तो यह समय दस महीने हो सकता है और वैसे ही सात महीने रहने वाले व्यक्ति को सात महीने पहले ही संकेत मिलने लगते हैं। 
ध्यान रहे कि मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े लक्षणों को किसी भी लैब टेस्ट या क्लिनिकल परीक्षण से सिद्ध नहीं किया जा सकता बल्कि ये लक्षण केवल उस व्यक्ति को महसूस होते हैं जिसकी मृत्यु होने वाली होती है। 
मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े निम्नलिखित संकेत व्यक्ति को अपना अंत समय नजदीक होने का आभास करवाते हैं: 
समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है. क्‍योंकि उसकी आँखें धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्‍यु के समय आँखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं। 
मृत्यु से कुछ समय पहले व्यक्ति को आसमान में मौजूद चाँद खंडित लगने लगता है। व्यक्ति को लगता है कि चांद बीच में से दो भागों में बंटा हुआ है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता। 
सामान्य तौर पर व्यक्ति जब आप अपने कान पर हाथ रखते हैं तो उन्हें कुछ आवाज सुनाई देती है लेकिन जिस व्यक्ति का अंत समय निकट होता है उसे किसी भी प्रकार की आवाजें सुनाई देनी बंद हो जाती हैं। 
व्यक्ति को हर समय ऐसा लगता है कि उसके सामने कोई अनजाना चेहरा बैठा है। 
मृत्यु का समय नजदीक आने पर व्यक्ति की परछाई उसका साथ छोड़ जाती है। 
जीवन का सफर पूरा होने पर व्यक्ति को अपने मृत पूर्वजों के साथ रहने का अहसास होता है। 
किसी साये का हर समय साथ रहने जैसा आभास व्यक्ति को अपनी मृत्यु के दो-तीन पहले ही होने लगता है। 
मृत्यु से पहले मानव शरीर में से अजीब सी गंध आने लगती है, जिसे मृत्यु गंध का नाम दिया जाता है। 
दर्पण में व्यक्ति को अपना चेहरा ना दिख कर किसी और का चेहरा दिखाई देने लगे तो स्पष्ट तौर पर मृत्यु 24 घंटे के भीतर हो जाती है। 
नासिका के स्वर अव्यस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है।

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