मार्टिन लूथर ने एक बार कहा था कि अगर आप दुनिया बदलना चाहते हैं तो कलम उठाइए और लिखना शुरू कीजिए
कलम से हर वो काम किया जा सकता है जो किसी और ढंग से किया जा सकता है. तभी तो
मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी कह गए-
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो,
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो.
आपके शब्द और आपका कार्य व्यवहार लोगों पर प्रभाव डालता है. जो लोग आपसे जुड़े हुए होते हैं सोचिए दिन भर में कितने लोग आपसे मिलते हैं जिनसे आप सुनते हैं कि वो लेखक उनका पसंदीदा लेखक है. अगर आपकी नज़रें खुली हुई हैं और आप जिन आदर्शों को लिखते हैं उनपर अमल भी करते हैं, तो लोग ज़रूर आपकी वजह से, सुधार अपनी ज़िंदगी में स्वीकार करते हैं प्रभावित करने के लिए आपका सेलिब्रिटी होना ज़रूरी नहीं. आप सच लिखते हैं, संवेदनात्मक कलम है आपके पास तो एक स्वाभाविक जुड़ाव लोग महसूस करते हैं.फिर लोग आपको पढ़कर बदलने भी लगते हैं.आप कितनी ही गंभीर बातें क्यों न लिखें अगर वह मनोरंजक नहीं है तो लोग नहीं पढ़ेंगे. मनोरंजन का अर्थ फूहड़ता, नाटकीयता या थुथलेपन से मत निकालिएगा. गंभीर लेखन का भी अपना एक अलग मज़ा है.
कलम से हर वो काम किया जा सकता है जो किसी और ढंग से किया जा सकता है. तभी तो
मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी कह गए-
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो,
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो.
आपके शब्द और आपका कार्य व्यवहार लोगों पर प्रभाव डालता है. जो लोग आपसे जुड़े हुए होते हैं सोचिए दिन भर में कितने लोग आपसे मिलते हैं जिनसे आप सुनते हैं कि वो लेखक उनका पसंदीदा लेखक है. अगर आपकी नज़रें खुली हुई हैं और आप जिन आदर्शों को लिखते हैं उनपर अमल भी करते हैं, तो लोग ज़रूर आपकी वजह से, सुधार अपनी ज़िंदगी में स्वीकार करते हैं प्रभावित करने के लिए आपका सेलिब्रिटी होना ज़रूरी नहीं. आप सच लिखते हैं, संवेदनात्मक कलम है आपके पास तो एक स्वाभाविक जुड़ाव लोग महसूस करते हैं.फिर लोग आपको पढ़कर बदलने भी लगते हैं.आप कितनी ही गंभीर बातें क्यों न लिखें अगर वह मनोरंजक नहीं है तो लोग नहीं पढ़ेंगे. मनोरंजन का अर्थ फूहड़ता, नाटकीयता या थुथलेपन से मत निकालिएगा. गंभीर लेखन का भी अपना एक अलग मज़ा है.
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