१ : गया श्राद्ध : गया श्राद्ध एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पितरो को मृत्यु लोक से देव लोक का स्थान मिलता है अपने पितर चाहे मृत्यु से मरे हो या अकाल मृत्यु से सब का उद्धार [ कल्याण ] हो जाता है | यह कार्यक्रम खरमाश या पूष मास में किया जाता है | जाने के पहले पितरो को निमंत्रण दिया जाता है | तब गया का कार्यक्रम किया जाता है |
२ : पार्वण श्राद्ध : पार्वण श्राद्ध गया जाते समय ही किया जाता है तथा सभी पितर गणों को अभी मंत्रित करके उसी दिन गया ले जाते है | वैसे इसे महालय श्राद्ध कहा जाता है | इसे पितृ पक्ष के अंतिम दिन सभी पितरो के निमित्त किया जाता है |
३ : त्रिपिंडी श्राद्ध : त्रिपिंडी श्राद्ध गया का विकल्प कहते है | इसे ही पितृ शांति कहते है | इस कार्य के करने से घर में शांति होती है तथा पितृ प्रसन्न होते है |
४ : नारायण बलि श्राद्ध : जब किसी प्राणी की अकाल मृत्यु [ जलने ,कटने ,फाशी ,जहर खाने ,सर्प काटने, ट्रेन से कटकर आदि ] होती है | तो उसकी सद्गति [ कल्याण ] के लिए मृत्यु से इग्यराहावे [ ११ ] दिन इस श्राद्ध का प्रयोग किया जाता है |
५ : वार्षिक श्राद्ध : प्राणी के मृत्यु के एक वर्ष बाद इस श्राद्ध को किया जाता है | लेकिन आज कल मृत्यु के अठारहवे दिन ही इस श्राद्ध को संपन्न कर दिया जाता है |
६ : नांदी श्राद्ध : कभी भी हम शुभ काम या पूजन करते है तो देवताओ के साथ पितरो का आवाहन किया जाता है व् उनका श्राद्ध किया जाता है | जिसे हम नांदी श्राद्ध कहते है |
७ : पंचक शांति : जब प्राणी की मृत्यु पंचक [ धनिष्ठा , शतभिषा , पूर्व भाद्रपद , उत्तर भाद्रपद ,रेवती ] नक्षत्र में हो जाय तो उशकी शांति शव [मिटटी] जलाते समय या ११वे दिन इसकी शांति की जाती है |
८ : वृखोत्सर्ग प्रयोग : वृखोत्सर्ग प्रयोग मृतक व्यक्ति के स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त करता है | यह प्रयोग सभी प्रयोगों में वृहद् है | यह प्रयोग भी ११वे दिन किया जाता है | ल्याण होगा ]
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